गौ माता |
सबसे प्रथम मैं एक प्रश्न पूछना चाहती हूँ की हम अपनी माता को पूज्या क्यों मानते हैं? और उत्तर यह है की वह हमारी जन्म दात्री और पालन कर्ता है. हमारी माता कभी अपने अमृतमयी दुग्ध से हमारा पालन करती है तो कभी अपने हाथों से बनाये पवित्र भोजन से. और जिस प्रकार जन्मदात्री माँ कहलाती है उसी प्रकार पालन कर्ता भी माँ ही कहलाती है. कृष्ण और यशोदा का सम्बन्ध इसी प्रकार का है. जिस प्रकार यशोदा केवल पालन करने से भी माँ कहलाती हैं उसी प्रकार गाय भी हमारी माँ ही हुई.
यह पूरा का पूरा गो वंश ही हमारा बहुत सा उपकार कर्ता है. गाय का हर रूप परोपकार का पर्याय है. जब अपनी माता का दुग्ध उपलब्ध न हो तो यही गाय अपने अमृत द्वारा मनुष्य का पालन करती है. दूध, दही, घी, पनीर, मक्खन आदि द्वारा हमारा पालन करती है.
गाय के गोबर की क्या प्रशंसा की जाये गाँव में तो आज भी लोग इसका लेपन धार्मिक तथा पवित्र कार्यों में करते हैं. वास्तव में इसके गोबर में औशधिय और कीटाणु नाशक गुण होते हैं. जिस कारण से गाय के गोबर को सर्वाधिक पवित्र माना जाता है.
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